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Durga Chalisa Aarti | दुर्गा चालीसा आरती सहित

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“दुर्गा चालीसा आरती” एक प्रसिद्ध हिंदू धार्मिक गीत है जो मां दुर्गा की पूजा के दौरान गाया जाता है। यह आरती दुर्गा माता की महिमा, महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की प्रशंसा करती है और उनकी कृपा और आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करती है।

दुर्गा चालीसा आरती के गीत के माध्यम से, भक्त दुर्गा माता की शक्ति, सौंदर्य और मान्यताओं का स्मरण करते हैं। गीत की पंक्तियाँ दुर्गा माता के विभिन्न नामों, गुणों और दिव्य स्वरूपों का वर्णन करती हैं और उनके महाकार्यों और लीलाओं की महिमा का गान करती हैं। इस आरती में, दुर्गा माता को मानसिक और शारीरिक बल प्रदान करने वाली शक्ति के रूप में पुकारा जाता है और उनसे रक्षा, सुरक्षा और सफलता की प्रार्थना की जाती है।

दुर्गा चालीसा आरती को संगीत और ताल के साथ गाया जाता है और इसके द्वारा भक्त दुर्गा माता की आराधना करते हैं और उनके प्रतिमा के सामने दीपक जलाते हैं। यह आरती भक्तों को उत्साह और शक्ति प्रदान करती है और उन्हें दुर्गा माता के सामर्थ्य, सौंदर्य और करुणा के अनुभव का अवसर देती है। इसके अतिरिक्त, इस आरती के गान का सुनने और गाने में भाग लेने से भक्तों को मानसिक शांति, सुख और संतोष प्राप्त होता है।

दुर्गा चालीसा आरती का उच्चारण और गायन हिंदू धार्मिक समारोहों, उत्सवों और माता दुर्गा के व्रत के दौरान विशेष रूप से किया जाता है। इस आरती को समर्पित किया जाता है जो मां दुर्गा की उपासना करने वाले लोगों के द्वारा प्रेम और सम्मान की भावना को प्रकट करता है।

Table of Contents

दुर्गा चालीसा आरती का पाठ कैसे करे

दुर्गा चालीसा आरती का पाठ करने से पहले, व्यक्ति को शुद्धि की भावना से अपने मन को तैयार करना चाहिए। फिर उसे ध्यान से दुर्गा चालीसा को पढ़ना चाहिए, जिससे आरती के पदों की भव्यता और अर्थ समझ में आ सके। पूर्ण श्रद्धा और भक्ति से पाठ करने से देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और भक्त को उनका आशीर्वाद मिलता है।

दुर्गा चालीसा

नमो नमो दुर्गे सुख करनी ।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी ॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी ।
तिहूँ लोक फैली उजियारी ॥

शशि ललाट मुख महाविशाला ।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला ॥

रूप मातु को अधिक सुहावे ।
दरश करत जन अति सुख पावे ॥ ४

तुम संसार शक्ति लै कीना ।
पालन हेतु अन्न धन दीना ॥

अन्नपूर्णा हुई जग पाला ।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला ॥

प्रलयकाल सब नाशन हारी ।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी ॥

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें ।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ॥ ८

रूप सरस्वती को तुम धारा ।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ॥

धरयो रूप नरसिंह को अम्बा ।
परगट भई फाड़कर खम्बा ॥

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो ।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो ॥

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं ।
श्री नारायण अंग समाहीं ॥ १२

क्षीरसिन्धु में करत विलासा ।
दयासिन्धु दीजै मन आसा ॥

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी ।
महिमा अमित न जात बखानी ॥

मातंगी अरु धूमावति माता ।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ॥

श्री भैरव तारा जग तारिणी ।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ॥ १६

केहरि वाहन सोह भवानी ।
लांगुर वीर चलत अगवानी ॥

कर में खप्पर खड्ग विराजै ।
जाको देख काल डर भाजै ॥

सोहै अस्त्र और त्रिशूला ।
जाते उठत शत्रु हिय शूला ॥

नगरकोट में तुम्हीं विराजत ।
तिहुँलोक में डंका बाजत ॥ २०

शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे ।
रक्तबीज शंखन संहारे ॥

महिषासुर नृप अति अभिमानी ।
जेहि अघ भार मही अकुलानी ॥

रूप कराल कालिका धारा ।
सेन सहित तुम तिहि संहारा ॥

परी गाढ़ सन्तन पर जब जब ।
भई सहाय मातु तुम तब तब ॥ २४

अमरपुरी अरु बासव लोका ।
तब महिमा सब रहें अशोका ॥

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी ।
तुम्हें सदा पूजें नरनारी ॥

प्रेम भक्ति से जो यश गावें ।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें ॥

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई ।
जन्ममरण ताकौ छुटि जाई ॥ २८

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी ।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ॥

शंकर आचारज तप कीनो ।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ॥

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को ।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ॥

शक्ति रूप का मरम न पायो ।
शक्ति गई तब मन पछितायो ॥ ३२

शरणागत हुई कीर्ति बखानी ।
जय जय जय जगदम्ब भवानी ॥

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा ।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ॥

मोको मातु कष्ट अति घेरो ।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो ॥

आशा तृष्णा निपट सतावें ।
मोह मदादिक सब बिनशावें ॥ ३६

शत्रु नाश कीजै महारानी ।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी ॥

करो कृपा हे मातु दयाला ।
ऋद्धिसिद्धि दै करहु निहाला ॥

जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ॥

श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै ।
सब सुख भोग परमपद पावै ॥ ४०

देवीदास शरण निज जानी ।
कहु कृपा जगदम्ब भवानी ॥

॥दोहा॥

शरणागत रक्षा करे, भक्त रहे नि:शंक ।
मैं आया तेरी शरण में, मातु लिजिये अंक ॥

॥ इति श्री दुर्गा चालीसा ॥

दुर्गा चालीसा आरती के लाभ

दुर्गा चालीसा आरती का पाठ करने से शरीर, मन, और आत्मा में ऊर्जा का संचार होता है। यह आरती भक्तों को शांति, सुख, और संतुलन की प्राप्ति में मदद करती है। इसके अलावा, यह आरती भक्त की आत्मा को देवी के प्रति समर्पण की भावना से भर देती है, जिससे उसका जीवन सफलता की ओर बढ़ता है।

दुर्गा आरती

जय अम्बे गौरी मैया जय मंगल मूर्ति ।
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥टेक॥

मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥जय॥

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै ॥जय॥

केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी ।
सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी ॥जय॥

कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति ॥जय॥

शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥जय॥

चौंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू।
बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥जय॥

भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी।
मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥जय॥

कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती ।
श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥जय॥

श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै ॥जय॥

Durga Aarti : जय अम्बे गौरी Image

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दुर्गा चालीसा आरती का महत्व

दुर्गा चालीसा आरती, मां दुर्गा की पूजा में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह आरती देवी के प्रति भक्ति और श्रद्धा का परिचय देती है, जिससे हम उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। दुर्गा चालीसा आरती का पाठ करने से भक्त की भव्यता में वृद्धि होती है, और उसका मन शांति से भर जाता है।

दुर्गा चालीसा : अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

"दुर्गा चालीसा" का पाठ करने से माता दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और भक्त के जीवन में सुख, समृद्धि, सफलता और रक्षा की वरदान मिलती है। यह चालीसा उन्हें संतुष्ट करने, दुःखों को दूर करने और अन्य समस्याओं को दूर करने में मदद करती है।

"दुर्गा चालीसा" संस्कृत भाषा में लिखी गई है, लेकिन इसके अनुवाद विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध हैं।

"दुर्गा चालीसा" माता दुर्गा की स्तुति करती है। यह माता दुर्गा के अद्भुत गुणों, शक्तियों और रूपों की महिमा का वर्णन करती है।

"दुर्गा चालीसा" का शाब्दिक अर्थ होता है "चालीस" श्लोकों की प्रार्थना। यह प्रार्थना स्तोत्र माता दुर्गा के गुणों और महत्वपूर्ण कार्यों के बारे में चालीस श्लोकों में व्यक्त किया गया है।

"दुर्गा चालीसा" का पाठ नियमित रूप से माता दुर्गा की पूजा-अर्चना के दौरान, विशेष अवसरों पर और नवरात्रि के दौरान किया जाता है। बहुत से भक्त इसे रोज़ाना भी पढ़ते हैं।

"दुर्गा चालीसा" का उच्चारण श्रद्धा और समर्पण भाव से किया जाता है। इसे स्पष्ट ध्वनि, सुन्दरता और सही उच्चारण के साथ पढ़ने का प्रयास करें।

"दुर्गा चालीसा" के पाठ से आपको माता दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और आपके जीवन में सुख, समृद्धि, सफलता और रक्षा की वरदान मिलती है। इसका पाठ करने से मन की शांति, भक्ति का विकास और शक्ति का अनुभव होता है।

"दुर्गा चालीसा" 40 श्लोकों से मिलकर बनी होती है। हर श्लोक में देवी दुर्गा की महिमा, गुण, और शक्तियों का वर्णन किया गया है।

"दुर्गा चालीसा" 40 श्लोकों से मिलकर बनी होती है।

"दुर्गा चालीसा" एक ही प्रकार की होती है जो 40 श्लोकों के समूह के रूप में प्रस्तुत की जाती है।

आप "दुर्गा चालीसा" को धार्मिक पुस्तकों और धार्मिक वेबसाइटों में संग्रहित देख सकते हैं। यह चालीसा प्रसिद्ध हिन्दू धार्मिक पुस्तकों में व्यापक रूप से मौजूद होती है।

"दुर्गा चालीसा" का प्रचलन पूरे भारत में है। यह चालीसा माता दुर्गा की पूजा और आराधना में व्यापक रूप से प्रयोग होती है।

"दुर्गा चालीसा" को रचना काव्य शास्त्र के माध्यम से श्री गोस्वामी तुलसीदास जी ने की थी। उन्होंने इस चालीसा के माध्यम से माता दुर्गा की स्तुति और भक्ति का व्यक्त किया।

"दुर्गा चालीसा" की पूजा माता दुर्गा के पूजा-पाठ के दौरान की जाती है। यह चालीसा दुर्गा माता के समर्पित है और इसका पाठ पूजा-पाठ के अंत में किया जाता है।

"दुर्गा चालीसा" में माता दुर्गा के अलावा उनकी विभिन्न स्वरूपों और देवी-देवताओं की स्तुति की गई है। कुछ प्रमुख देवताओं में माता काली, माता लक्ष्मी, माता सरस्वती, माता सन्तोषी माता, माता बगलामुखी, और माता सीता शामिल हैं।

"दुर्गा चालीसा" का पाठ करने के लिए आपको एक चालीसा पाठ बुक, माला, दीपक, पूजा के लिए स्थान, और पूजा सामग्री जैसे फूल, चंदन, कुमकुम, नरियल, अक्षता, और प्रसाद की चीजें चाहिए।

"दुर्गा चालीसा" का पाठ नियमित रूप से एक बार या तीन बार किया जाता है। कुछ भक्त इसे अनुभव और स्वाध्याय के लिए अधिक बार पढ़ते हैं।

"दुर्गा चालीसा" का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन प्राथमिकता नवरात्रि, दुर्गाष्टमी, और महानवमी जैसे दुर्गा माता के पर्वीय अवसरों पर दी जाती है।

दुर्गा चालीसा" का पाठ कोई भी व्यक्ति कर सकता है जो माता दुर्गा की भक्ति और पूजा में रुचि रखता है। यह चालीसा सभी धर्मानुसारी लोगों द्वारा प्रार्थना और स्तुति के रूप में पढ़ी जा सकती है।


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