Home » History » जलाल-उद-दीन मुहम्मद अकबर जीवनी

जलाल-उद-दीन मुहम्मद अकबर जीवनी

Rate this post

Table of Contents

सन्न 1542 में प्रसिद्ध हुए मुग़ल सम्राट अकबर का जन्म हुआ।

मुग़ल साम्राज्य का तीसरा सम्राट, जलाल-उद-दीन मुहम्मद अकबर, भारतीय इतिहास में एक शानदार प्रतीक हैं। उनके शासनकाल को “सुल्तानत-ए-आजम” के नाम से जाना जाता है जिसका अर्थ होता है “अब तक की सबसे बड़ी सलतनत”। उनके पिता हुमायूँ के शासनकाल में जन्मे जलाल-उद-दीन मुहम्मद अकबर को 13 वर्ष की उम्र में ही उनके विशेष सलाहकार बैरम खान ने सिंघासन पर बिठाया था। उस समय तक, उन्हें ज्यादा शिक्षा नहीं दी गई थी लेकिन उनका शिक्षायोग्यता और तलवार की कुशलता में विश्वास था।

शासनकाल की प्रारंभिक घटनाएं और राजसत्ता की प्राप्ति

अकबर के शासनकाल की प्रारंभिक घटनाएं उनके शिक्षक बैरम खान द्वारा संभाली गईं। उन्होंने अकबर को राजनीतिक तथा सैन्य योजनाओं के लिए समर्पित किया। 1556 में, उम्रकैद में राजद्रोहियों द्वारा हुमायूँ की मृत्यु हो गई और अकबर को 13 वर्षीय होते हुए मुग़ल सिंघासन पर बैठाया गया। उनके बढ़ते हुए योगदान ने जल्द ही उन्हें राजसत्ता की प्राप्ति कर लिया। उनके शासनकाल में वह ताकतवरीन सम्राटों में से एक बन गए जिन्होंने अपने अधीनस्थ राज्य के सामर्थ्य को बढ़ाया और राजनीतिक संबंधों को मजबूत किया।

विश्वासीकरण और साम्राज्य के विस्तार

अकबर एक विश्वासी शासक थे और उन्होंने अपने साम्राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में विस्तार का प्रयास किया। उन्होंने राज्य के विभिन्न हिस्सों में स्थानीय राजा और नौबत बनाए रखकर संबंध बनाए। उनके शासनकाल में, उन्होंने विभिन्न धर्मों और समाज के लोगों के बीच सद्भावना और समरसता को प्रोत्साहित किया। उन्होंने अपने राज्य में सभी धर्मों के प्रतिनिधि सम्मेलनों का आयोजन किया जिससे भाईचारा और सौहार्द संतुलित रहा।

विजयी अभियान और सांस्कृतिक उत्थान

अकबर का शासन विजयी अभियानों की श्रृंगार रचा था। उन्होंने पंजाब, सिंध, बंगाल, गुजरात, ओडिशा, दक्षिण भारत और राजपूताना जैसे क्षेत्रों को अपने राज्य में सम्मिलित किया। उनके शासनकाल में व्यापार, शिक्षा, कला, साहित्य, और संस्कृति का विकास हुआ। विशेष रूप से, उन्होंने अपने राज्य में आत्मीयता और समृद्धि की भावना का विकास किया।

धार्मिक तालमेल और दिन-दर्शिका का संचयन

अकबर का धर्मिक तालमेल और धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण उन्हें विशेष बनाता है। उन्होंने धर्मों के बीच सद्भावना और समरसता को बढ़ावा दिया और सभी धर्मों के प्रतिनिधि आमंत्रित किए। उन्होंने अपने दरबार में आयोजित दिन-दर्शिका में विभिन्न धर्मों के विचारों को संग्रहीत किया जो उनके अद्भुत धार्मिक सौहार्द को दिखाता है।

जलाल-उद-दीन मुहम्मद अकबर के विचार

जलाल-उद-दीन मुहम्मद अकबर को शिक्षा, संस्कृति, और समृद्धि के क्षेत्र में एक समर्थक और समरसता के प्रोत्साहक के रूप में जाना जाता है। उनका शासनकाल भारतीय इतिहास में समृद्धि और सामर्थ्य के अद्भुत उदाहरण के रूप में चिन्हित है। उनके साम्राज्य के शांतिपूर्वक और विविध संस्कृति के माध्यम से, वे भारतीय सांस्कृतिक विरासत के साथ एक गहरी जुड़ाव रखते हैं।

समाप्ति

जलाल-उद-दीन मुहम्मद अकबर एक अद्भुत सम्राट थे जिन्होंने भारतीय इतिहास में अपनी अद्भुत शासन पद्धति और सामर्थ्य से अलग नाम बनाया। उनके धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण, साम्राज्य के विस्तार, और सांस्कृतिक उत्थान के कारण उन्हें “सुल्तानत-ए-आजम” के नाम से याद किया जाता है। उनके शासनकाल के इतिहास के अद्भुत अनुभवों को साझा करने से हम उनके बारे में और अधिक जान सकते हैं।

जलाल-उद-दीन मुहम्मद अकबर : अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

जहाँगीर अकबर के जेष्ठ पुत्र थे। मुराद और दानियाल उनके छोटे भाई थे। मुराद और दानियाल पिता के जीवन में शराब पीने की वजह से मर चुके थे।

अकबर का पहला बेटा सलीम (जहाँगीर) था।

अकबर की बेटी का नाम फतेमा बेगम था, जिसे आम तौर पर जोधा बाई के नाम से जाना जाता है।

अकबर के बाद राजा उनके पुत्र जहाँगीर (सलीम) बना था।

अकबर के बाद राजा उनके पुत्र जहाँगीर (सलीम) बना था।

अकबर का सबसे बड़ा पुत्र सलीम (जहाँगीर) था।

अकबर के तीन पुत्र थे - सलीम (जहाँगीर), मुराद और दानियाल।

अकबर की तीन अध्यक्ष पत्नियाँ थीं, जिनके नाम हैं रुकय्या सुल्तान बेगम, सलीमा सुल्तान बेगम और मरियम-उज-ज़मानी (हरका बाई या जोधा बाई)।

एक 1599 और दूसरी 1615, सैयद अब्‍दुल लतीफ अपनी किताब 'तारीख-ए-लाहौर' में लिखते हैं कि अनारकली असल में अकबर की बीवी थी। लेकिन शहजादा सलीम से इश्‍क के कारण उसकी जान चली गई। अब्‍दुल लतीफ लिखते हैं कि कब्र पर जो 1599 लिखा है, वह अनारकली के मरने का साल है।

अकबर की प्रमुख पत्नी और जहाँगीर की मां थीं मरियम-उज-ज़मानी या हरका बाई या जोधा बाई के नाम से भी जानी जाती हैं।

जब अकबर सलीम के कई बार किए जाने वाले विद्रोहों से तंग आ गए थे तब उन्होंने बड़े बेटे शहजादा खुसरो को अपना उत्तराधिकारी बनाने का विचार किया था। सन् 1591 तक सलीम सिंहासन पाने के लिए बहुत व्याकुल हो उठा था। फिर उसी साल बादशाह अकबर बीमार हो गए थे। तभी शहजादे सलीम ने शाही हकीम से जहर बादशाह अकबर को जहर देने की कोशिश की थी। इतिहास में किसी प्रमाणित सूचना के अनुसार, सलीम ने अकबर को नहीं मारा था। अकबर की मृत्यु प्राकृतिक कारणों से हुई थी।

सलीमा सुल्तान बेगम मुहम्मद जलालुद्दीन अकबर की सबसे सुंदर और अकल्मन्द बेगम है. अकबर अक्सर मुश्किल वक़्त में उनसे सलहा-मश्वरा किया करते है.

मुगल शासक शाहजहां के बारे में कहा जाता है कि उसने बेगम मुमताज के इंतकाल के बाद अपनी बेटी जहां आरा से निकाह कर लिया था।

नादिरा नाम की एक नर्तकी को ही बाद मे अनारकली के नाम से जाना गया। कुछ लोगों के अनुसार नादिरा अकबर की खास थी, मगर सलीम और नादिरा के बीच बढ़ता प्रेम प्रसंग ही अकबर और सलीम के बीच दूरियां बढ़ाने की मुख्य वजह था। इसी कारण अकबर ने अनारकली को जिंदा चुनवा दिया था।

भारत के इतिहास में महाराणा प्रताप एकमात्र ऐसे योद्धा रहे, जिन्होंने कभी किसी मुगल बादशाह के आगे हार नहीं मानी। हल्दीघाटी के युद्ध के बाद तोअकबर इतना डर गया था वह सपने में भी महाराणा प्रताप के नाम से चौंक जाता था और पसीना-पसीना हो जाता था।

इतिहासकारों के अनुसार, अकबर को डिस्लेक्सिया नामक बीमारी थी।

अकबर पुत्र: अकबर के अलग-अलग पत्नियों से पांच बेटे थे। उनके पहले दो बेटे हसन और हुसैन थे और उनकी मां बीबी अराम बख्श थीं। अज्ञात कारण से कम उम्र में ही दोनों की मृत्यु हो गई। अकबर के अन्य पुत्र मुराद मिर्ज़ा, दानियाल मिर्ज़ा और जहाँगीर थे।

जोधा बेगम, उर्फ मरियम-उज़-ज़मानी,उनका जन्म हुआ था 1542 में, सांभर में आयोजित यह विवाह एक राजनीतिक था और राजा भारमल के मुगल बादशाह के प्रति संधिबद्ध होने का संकेत था। अकबर के साथ उनके विवाह से उनकी धार्मिक और सामाजिक नीति में एक क्रमिक बदलाव आया।

अकबर की विशेषताएँ अकबर, जैसा कि मध्य जीवन में देखा गया था, मध्यम कद का व्यक्ति था, ऊंचाई शायद पांच फुट सात इंच, मजबूत शरीर वाला, न बहुत पतला और न ही बहुत मोटा, चौड़ी छाती वाला, संकीर्ण कमर वाला और लंबी भुजाओं वाला।


Leave a Comment