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दादाभाई नौरोजी: जीवनी

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अभिप्रेत आदर्शवादी, विचारशील और स्वतंत्रता सेनानी दादाभाई नौरोजी ने भारतीय इतिहास में अपनी अद्वितीय पहचान बनाई। उनकी विचारधारा ने देशभक्ति और स्वराज्य की कामना को मजबूती दी और वे अपने कार्यों से युवा पीढ़ी को प्रेरित करते रहे। इस लेख में हम दादाभाई नौरोजी के बारे में जानेंगे, उनके जीवन, संघर्ष और योगदान के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

Table of Contents

भूमिका

दादाभाई नौरोजी (1825–1917) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, विचारवादी, अर्थशास्त्री और भारतीय राजनीतिज्ञ थे। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सहसंस्थापक और द्वितीय अध्यक्ष भी रहे हैं। दादाभाई नौरोजी को भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में “अद्वितीय भारतीय राष्ट्रीयवादी” के रूप में मान्यता दी जाती है। उन्होंने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया और इसके लिए बड़ी मेहनत की। उनकी जीवनी और योगदान से हमें अधिक सीखने का मौका मिलता है।

बचपन और शिक्षा

दादाभाई नौरोजी का जन्म 4 सितंबर, 1825 को नवसारी, गुजरात में हुआ। उनके पिता का नाम नौसरवानजी नौरोजी था और वे एक अधिकारी थे। उनके परिवार में न्यायिक और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान था। दादाभाई ने अपनी प्राथमिक शिक्षा अपने गांव में पूरी की और उसके बाद मुंबई जाकर अधिक शिक्षा प्राप्त की।

विदेश में पढ़ाई

दादाभाई नौरोजी ने उच्चतर माध्यमिक परीक्षा पास करने के बाद अंग्रेजी स्कूल में अध्ययन करना शुरू किया। उन्होंने बॉम्बे विद्यापीठ से अपनी स्नातकीय पढ़ाई पूरी की और फिर लंदन जा कर उन्होंने वहां से उच्च शिक्षा प्राप्त की। वे अर्थशास्त्र और व्यापार की पढ़ाई करने के लिए जाने जाते हैं।

अध्यापन करियर

दादाभाई नौरोजी ने अपनी शिक्षा के बाद भारत लौटकर अध्यापन करियर शुरू की। वे बॉम्बे एल्फिनस्टन कॉलेज के प्राध्यापक बने और वहां पढ़ाने के साथ-साथ उच्च शिक्षा में भी रुचि रखने लगे। उन्होंने विभिन्न विषयों पर लेख भी लिखे और अपने विचारों को लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया।

राजनीतिक यात्रा

दादाभाई नौरोजी का राजनीतिक जीवन उनके विचारधारा के समर्थकों द्वारा बहुत प्रशंसा प्राप्त करता है। उन्होंने अपनी जीवनगाथा में कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के राजनीतिक कार्यों में भाग लिया। उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की और भारतीयों की राजनीतिक और सामाजिक मांगों को उठाने के लिए काम किया।

लोकसभा के पहले भारतीय

दादाभाई नौरोजी को यह गर्व का सम्मान है कि उन्होंने भारतीय लोकसभा के पहले भारतीय के रूप में चुनाव जीता था। 1892 में उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ इंग्लिश में चुनाव लड़ा था और वे न्यूकैसल में विजयी हुए थे। उनका यह कार्य एक ऐतिहासिक मील का पत्थर बना और भारतीय राजनीति में बदलाव का संकेत था।

“रसायन शास्त्रीय उत्पादन” की स्थापना

दादाभाई नौरोजी का अर्थशास्त्र जगत में भी महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने “रसायन शास्त्रीय उत्पादन” की स्थापना की थी, जिसमें विभिन्न उत्पादों के लिए विशेष ध्यान दिया जाता है। इससे भारतीय उद्योग विकास की दिशा में एक प्रभावी कदम उठाया गया और वहां की अर्थव्यवस्था को सुधारने में मदद मिली।

न्यायाधीश बनने का सपना

दादाभाई नौरोजी का एक और महत्वपूर्ण सपना न्यायाधीश बनने का था। उन्होंने न्यायिक पद की उच्चतम पदस्थापना में रुचि दिखाई और न्यायिक संरचना में सुधार की आवश्यकता को उठाया। यह सपना उनके मरने के बाद भी लोगों को प्रेरित कर रहा है और न्यायिक पद में समानता की प्राप्ति के लिए लड़ रहे व्यक्तियों की मदद कर रहा है।

संघर्ष और समर्पण

दादाभाई नौरोजी के जीवन की यात्रा में संघर्ष और समर्पण के कई क्षण हुए। उन्होंने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उन्होंने आगे बढ़कर सभी को पार किया। उनकी समर्पण और दृढ़ संकल्पता ने उन्हें सफलता की ओर ले जाने में मदद की। वे एक स्वतंत्र भारत के सपने को साकार करने के लिए अपने जीवन को समर्पित कर दिया।

समापन

दादाभाई नौरोजी भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं। उनकी सामरिक, राजनीतिक और सामाजिक यात्रा ने भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में महत्वपूर्ण योगदान किया। उनके अद्वितीय सोच और उनके महान कार्यों को याद रखना आवश्यक है। उनकी जीवनी हमें उनके योगदान की प्रेरणा देती है और हमें एक सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा प्रदान करती है।

अद्यतन:

दादाभाई नौरोजी : अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

दादाभाई नौरोजी का जन्म नवसारी, गुजरात, भारत में हुआ था।

दादाभाई नौरोजी का जन्म 4 फरवरी, 1825 को हुआ था।

दादाभाई नौरोजी मुख्य रूप से स्वतंत्रता संग्राम के लिए काम करने वाले व्यक्ति और गांधीवादी नेता थे।

दादाभाई नौरोजी ने इंग्लैंड में राजनयिक कार्य किया और वहां स्वतंत्रता की मांग की।

दादाभाई नौरोजी को स्वतंत्रता और विभाजन आंदोलन की शुरुआत में महत्वपूर्ण योगदानदाता माना जाता है।

दादाभाई नौरोजी ने इंडियन नेशनल कांग्रेस पार्टी की स्थापना की थी।

दादाभाई नौरोजी को उनके स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रीयता के लिए 'गर्वित भारतीय' कहा जाता है।

दादाभाई नौरोजी का निधन 30 आगस्ट, 1917 को हुआ था।

दादाभाई नौरोजी को भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के 'देशप्रेमी आंदोलनकारी' श्रेणी में गिना जाता है।

इस लेख में दादाभाई नौरोजी के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। उनके योगदान ने भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन को प्रभावित किया और उनकी विचारधारा आज भी हमें प्रेरित करती है। दादाभाई नौरोजी के बारे में और जानने के लिए आपको उनके जीवनी को पढ़ना चाहिए।


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